Guest Guest
| Subject: meri mahobbat kya jane 2008-07-03, 21:25 | |
| तू दिल कि हालत क्या जाने मेरी मोहब्बत क्या जाने मेरी रुह की गह’राई में बस तेरी पर’छाई है जिंन्दगी के खालिपन की एक तू ही भर’पाई है तू यादों की खुश’बू बन’के आज मुझ पे छाई है सांसो की तरह मेरी ध’ड़्कनों में तू समाई है तुझे दूर कैसे रखूँ अप’ने से ये तो प्यार कर’ने की सज़ा है जो हम’ने आप’से पाई है !! |
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